कोविड -19 महामारी के बाद, पिछले कुछ महीनों में, दुनिया में जिस तरह की मानवीय और आर्थिक आपदा देखी गई है, वह आधुनिक इतिहास में अपनी तरह की पहली घटना है। तमाम देश और जनसमुदाय इस महामारी के आर्थिक और शारीरिक प्रभावों से जूझ रहे हैं। कई राष्ट्रों ने तो इन विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए आर्थिक सुधार पैकेज तैयार किए हैं।
भारत में भी इस दिशा में प्रयास हो रहे हैं। लेकिन अर्थव्यवस्था को ठीक करने के दौरान, एक महत्वपूर्ण प्रश्न जिसका उत्तर दिया जाना आवश्यक है, वह यह है कि इस बिखरी अर्थव्यवस्था को पर्यवर्णानुकूल रूप से पुनर्स्थापित करते समय वो कौन से सुधार हो सकते हैं जो लाखों भारतीयों को नौकरी के अवसर प्रदान करें।
पैनल:
संदीप पई, पत्रकार और पीएचडी स्कॉलर, जस्ट ट्रांजिशन
मधुरा जोशी, लीड, क्लीन एनर्जी एंड एक्सेस और क्लाइमेट पालिसी, एनआरडीसी
अर्चना सोरेंग, सदस्य, जलवायु परिवर्तन पर युवा सलाहकार समूह, यूएन
बालावंत जोशी, प्रबंध निदेशक, आईडीएएम इन्फ्रा
रश्मि वर्मा, पूर्व अतिरिक्त महाप्रबंधक, एनटीपीसी
संचालक:
हृदयेश जोशी, वरिष्ठ पर्यावरण पत्रकार